विमलयात्रा
Saturday, November 13, 2010
क्षणिका
नहीं चाह दीर्घ जीवन की ,
पर कुछ लालसा है इस मन की.
रहे सादगी यह बचपन सी ,
फिर उम्र हो चाहे पचपन की.
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