आज हमने किसी से मुलाकात की,
वह मुलाकात थी... पर थी एक दुखान्तिका।
जिंदगी के कई राज़ मालूम हुए हमें उससे,
आँखे नम हुई जो सुनी उसकी कहानी उससे।
वह एक नारी थी जो जीवन से हारी थी ,
नारीत्व ... था उसके लिए अभिशाप ....
रोज़ जलती थी वह चिंता की चिता मैं,
कड़वाहट मैं वह जो जी रही थी।
वह कोसती थी उसके नारी जीवन को......
बड़ा रोचक जीवन था उसका,
चूल्हा, चौका व चारदीवारी थी,जिसकी वह अधिकारिणी थी ।
बचपन लुटा था बरसों पहलें अब तो यादें भी धूमिल हो गई थी.....