Friday, December 25, 2015

एक शोख़ मासूमियत औऱ कातिलाना नज़र का जादू






साधना वह नाम जो खूबसूरती की हदें पार करता हो.. जो मासूम हो पर शोखी से भरा हो, जिसे बस एकटक सराहना भाव से निहारा जा सकता हो।  रूप जो अपनी पूर्णता  में आत्मविश्वास यूँ छलकाता हो कि सौन्दर्य को चार चाँद लग जाए. अपनी साधना हेयर स्टाइल से प्रसिद्ध साधना शिवदासानी अपने अभिनय में भी अलहदा थी। उनके जैसे नाम कम ही है फिल्म इंडस्ट्री में जो अपने सौन्दर्य और अदाकारी के दम पर दर्शकों के मन पर एक अमिट छाप छोड़ते हो. 

झूमका गिरा रे बरेली के बाज़ार में हो या फिर ए नर्गिसे मस्ताना या फ़िर मेरा साया उनकी आँखों का वो काजल जो शायद रात भर जलता रहा होगा बरबस याद आ जाता है। वे अपने व्यक्तित्व में सादा थी और लोकप्रियता के चरम पर ऐसी सादगी कम ही मिलती है।

साधना जिसके नाम से साधना कट हेयर स्टाइल मशहूर हुआ वह उन्होंने अपनी पारम्परिक छवि बदलने के उद्देश्य से  फिल्म लव इन शिमला के लिए करवाया  था औऱ कहा जाता है कि इसको सुझाया भी उन्होंने ही था । तंग चूड़ीदार-कुर्ता को वे पहले पहल वक्त फिल्म में रूपहले पर्दे पर लेकर आयी ।  सौन्दर्य के साथ - साथ वे सौन्दर्यबोध की भी धनी थी।  

यों तो उनकी अनेक फ़िल्में है परन्तु आप आए बहार आयी, एक फ़ूल दो माली और मेरा साया मेरी पंसदीदा फ़िल्में है। इन फ़िल्मों के पोस्टर भी अभी तक जेहन में हैं और अभिनय तो है ही अमिट। मेड़ता जैसे कस्बे में बचपन गुज़ारने का यह फ़ायदा रहा कि ये फिल्में जो काफ़ी समय पूर्व ही रूपहले पर्दे पर अपनी उपस्थिति दे चुकी थीं, मैं उन्हें नब्बे के दशक में देख पा रही थी।  साल बीतते बीतते विदा हुए सौन्दर्य के इस चाँद को अलविदा! जिसकी चाँदनी का साया मन को सदा -सदा भिगोता रहेगा...

साधना आप चमकती रहें यूँहीं सदा इस रूपहले पर्दे से फ़लक के उस पार तक...

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