Tuesday, February 14, 2017

एक पाती लाडो के नाम




सुनो मेरी अल्हड़ हीर, सोनी और मरवण सी कुड़ियों..!

ये जो दिन विशेष की सौगातें है ना इन के भुलावे में ना आना। जिस राह से तुम गुज़र रही हो कई चौराहे मिलेंगे,  कई फिसलनें होगी पर तुम्हें संभल कर अपनी राह चुननी है। स्वभाव में तुम प्रकृति सी ही सादा और निश्छल हो इसलिए भरोसा भी जल्दी ही कर लेती हो पर अपने विश्वास को कुछ परीक्षणों से ज़रूर गुज़रने देना। नेह में खुद को घुला देना पर अपने अस्तित्व पर चोट हो तो संभलने की हिम्मत रखना।

जमाना लाख तंज कसे,  हिम्मत रखना!  उन आँखों में आंखें डाल कह देना कि स्त्री होने मात्र से मेरे हँसने,  बोलने, खेलने - कूदने को बांधने, तय करने के अधिकार  तुम्हें नहीं मिल जाते। अपनी बात सहजता से रखना, यह जानते हुए कि सहज होना स्त्रियोचित नहीं मानवीय गुण है। परवाज़ ऊँची होगी तुम्हारी पर अपने पंखों में हौंसले की ताकत पैदा करना।

लाज की देहरी उंघाल पूछ लेना उस हमसफ़र से कि रिश्ते के शुरूआती दौर में जिस  नेह, सौगातों और संदेशों की बौछारें तुम कर रहे हो उसकी ऊष्मा और नमी यूँही सदा बनी रहेंगी ना। पूछ ज़रूर लेना एकबार कि मैं तुममें पूरी तरह घुल जाऊंगी,  अपने पूरे समर्पण के साथ, पर क्या तुम इस कुछ मेरे निज को अपने में ,  अपने ही  अस्तित्व की तरह सहेज  लोगे ना..! क्या ताउम्र यूँही मेरी बातें तुम्हें गुदगुदाती रहेंगी  और कहीं मेरे बार बार पूछे जाने पर कि क्या तुम मुझसे प्यार करते हो कहीं झुंझला तो नहीं जाओगे ना..?

सुन रही हो ना!  लाडो! कोरी भावुकता नहीं कुछ समझदारी से भी अपने फैसले लेना फिर देखना जीवन का हर दिन प्रेम का उत्सव होगा.. प्रेम महज़ दिखावे के लिए नहीं होता पर इसे उतना ज़ाहिर ज़रूर होने देना कि यह पुल बनकर उस दिल में सीधा उतर जाए जहाँ की रेतीली ज़मीन जाने कब से इसके बरसने का इंतजार कर रही है..जीना पर इस जीने में खुद को सहेज लेना!

#खिलती_कोंपलों_की_खिलखिलाहट_के_नाम
#Repost

1 comment:

विमलेश शर्मा said...

http://m.patrika.com/news/work-life/a-letter-to-daughter-1511838/